जब भारतीय मौसम विभाग ने 30 अक्टूबर 2025 को बिहार के 20 जिलों में भारी से अत्यधिक भारी बारिश की चेतावनी जारी की, तो लोगों को याद आ गया — 2019 का बाढ़ वाला अक्टूबर। ये बारिश केवल बादलों का खेल नहीं, बल्कि एक जीवन-मरण का मुद्दा है। एम. रितुंजय मोहपात्रा, भारतीय मौसम विभाग के महानिदेशक, ने सीधे कहा: "ये बारिश बस पानी नहीं लाएगी, बल्कि रास्ते, घर और जिंदगी बहा लेगी।" ये चेतावनी उसी दिन जारी हुई जब दरभंगा, मुजफ्फरपुर और बक्सर जैसे जिलों में बारिश की शुरुआत हो चुकी थी — और अगले 24 घंटे में ये तूफान और भी तेज होने वाला है।
क्यों इतनी तेज बारिश?
ये बारिश किसी अचानक आए बादलों की नहीं, बल्कि दो बड़ी मौसमी घटनाओं का नतीजा है। एक, पूर्व-केंद्रीय अरब सागर में बना एक निम्न दबाव का केंद्र। दूसरा, पूर्वी विदर्भ और दक्षिणी छत्तीसगढ़ के आसपास एक अच्छी तरह से विकसित निम्न दबाव की स्थिति। इन दोनों का मिलन एक बर्फ के टुकड़े जैसा है — जब वो गर्म हवा के साथ टकराते हैं, तो बारिश का बाढ़ आ जाता है। ये घटनाएं अक्टूबर के अंत में बिहार के लिए खतरनाक होती हैं, क्योंकि जमीन अभी भी सिकुड़ी हुई है — नहीं तो जल अवशोषित कर लेती।
किन जिलों में क्या उम्मीद है?
भारतीय मौसम विभाग ने भारी बारिश को 64.5 मिमी से 115.5 मिमी, अत्यधिक भारी को 115.6 मिमी से 204.4 मिमी और उससे अधिक को "अत्यधिक भारी" कहा है। अक्टूबर 30 को दरभंगा में 92 मिमी, मुजफ्फरपुर में 108 मिमी और बक्सर में 89 मिमी की बारिश की उम्मीद है। अगले दिन, 31 अक्टूबर को, पश्चिमी हिमालयी पश्चिम बंगाल और सिक्किम में 220 मिमी से अधिक बारिश का अनुमान है — जिसका असर बिहार के उत्तरी भागों पर भी पड़ेगा।
तापमान की बात करें तो दिन में 29°C से 31°C (84°F-88°F) रहेगा — अभी भी गर्मी का अहसास। लेकिन रात में ये 17°C-19°C (63°F-66°F) तक गिर जाएगा। ये तेज तापमान का अंतर बारिश के साथ मिलकर बीमारियों के लिए अच्छा माहौल बना देता है। जिन जिलों में पहले से ही जल निकासी की सुविधा कम है — जैसे समस्तीपुर, किशनगंज और पूर्वी चम्पारण — वहां बाढ़ का खतरा अधिक है।
क्या लोग तैयार हैं?
जिला प्रशासन ने अभी तक 12 आपातकालीन टीमें तैनात कर दी हैं। अस्पतालों में डेंगू और पेचिश के दवाओं का स्टॉक बढ़ाया गया है। लेकिन गांवों में अभी भी बहुत कम तैयारी है। एक दरभंगा के किसान ने कहा, "हमने बारिश के लिए खेत तैयार किए, लेकिन घर के लिए नहीं।" ये बात आम है। जिन घरों में छतें टूटी हुई हैं, जिनके बारिश के लिए जमीन का ढांचा नहीं है — वो अब बस आशा कर रहे हैं।
सड़कों पर आवागमन भी खतरे में है। राष्ट्रीय राजमार्ग 27 और राष्ट्रीय राजमार्ग 107 पर पहले से ही जलभराव की शिकायतें आ रही हैं। रेलवे ने दरभंगा-मुजफ्फरपुर के बीच चलने वाली तीन ट्रेनों को रद्द कर दिया है। बसें अभी भी चल रही हैं, लेकिन ड्राइवर अब दो घंटे में एक घंटा रुकते हैं — जब बारिश बहुत तेज होती है।
ये बारिश क्यों खतरनाक है?
अक्टूबर का मौसम बिहार के लिए एक बेवकूफी है। जब सभी सोचते हैं कि मानसून चला गया, तभी ये बारिश आ जाती है। 2020 में भी ऐसा हुआ था — दरभंगा में 12 लोग मारे गए थे, जब एक बाढ़ ने एक घर को बहा लिया। तब भी चेतावनी दी गई थी, लेकिन लोगों ने इसे "सामान्य बारिश" समझ लिया। अब भी वही गलती दोहराई जा रही है।
इस बार बारिश का निर्धारण तो बहुत सटीक है — लेकिन प्रतिक्रिया नहीं। जिला प्रशासन के पास 150 आपातकालीन टीमें हैं, लेकिन उनमें से केवल 40 टीमों के पास नदियों के किनारे जाने के लिए नौकाएं हैं। बाकी बस एक रेडियो और एक फ्लैशलाइट के साथ भेजे जा रहे हैं।
अगले कदम क्या हैं?
31 अक्टूबर के बाद बारिश कम होने लगेगी, लेकिन नुकसान का असर अगले तीन हफ्ते तक रहेगा। बिहार के विकास विभाग के अनुसार, अगर बाढ़ ने 500 घरों को नुकसान पहुंचाया, तो उनकी निर्माण लागत 15 करोड़ रुपये तक पहुंच सकती है। इसके अलावा, खेतों में बारिश ने अभी तक 12,000 एकड़ फसलें बर्बाद कर दी हैं — जिसका नुकसान 300 करोड़ रुपये के आसपास है।
अगले 48 घंटे में जो लोग घरों से बाहर निकलते हैं, उन्हें अपने बच्चों के साथ बिस्तर पर रखने की जरूरत है। बारिश के बाद बच्चों में डायरिया और फीवर के मामले बढ़ जाते हैं। अब तक 87 बच्चों को दरभंगा के अस्पताल में भर्ती कराया गया है।
क्या भविष्य में ऐसा दोहराएगा?
हां। भारतीय मौसम विभाग के अनुसार, पिछले 15 वर्षों में अक्टूबर के अंत में बिहार में भारी बारिश की घटनाएं 300% बढ़ गई हैं। जबकि अगस्त-सितंबर में बारिश कम हो रही है, अक्टूबर में बारिश बढ़ रही है। ये जलवायु परिवर्तन का सीधा प्रभाव है। अरब सागर का पानी गर्म हो रहा है — और जब गर्म पानी होता है, तो बादल अधिक नमी लेकर आते हैं।
अगर आज हम नहीं सीखेंगे, तो अगले साल ये फिर आएगा। और शायद उस बार और भी बुरा होगा।
अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न
इस बारिश से कौन से जिले सबसे अधिक प्रभावित होंगे?
दरभंगा, मुजफ्फरपुर, बक्सर, समस्तीपुर, किशनगंज और पूर्वी चम्पारण जैसे उत्तरी और पूर्वी जिले सबसे अधिक प्रभावित होंगे। इन जिलों में जमीन की जल अवशोषण क्षमता कम है, और नहरों का निर्माण अपर्याप्त है। यहां बारिश के बाद जलभराव और नदियों का बहाव अधिक खतरनाक होता है।
इस बारिश के बाद बीमारियों का खतरा कितना है?
बारिश के बाद डायरिया, टायफाइड और डेंगू के मामले बढ़ जाते हैं। पिछले वर्ष अक्टूबर के अंत में बिहार में 1,200 डायरिया के मामले दर्ज हुए। इस बार भी अस्पतालों में दवाओं का स्टॉक बढ़ाया गया है, लेकिन गांवों में स्वच्छता की कमी बीमारियों को बढ़ा सकती है।
सड़क और रेल यातायात पर क्या प्रभाव पड़ेगा?
राष्ट्रीय राजमार्ग 27 और 107 पर जलभराव के कारण यातायात रुक सकता है। दरभंगा-मुजफ्फरपुर के बीच तीन ट्रेनें रद्द हो चुकी हैं। बसें अभी चल रही हैं, लेकिन ड्राइवर बारिश के तेज होने पर रुक जाते हैं। अगर बारिश 200 मिमी से अधिक हो गई, तो ये रास्ते दो दिन तक बंद रह सकते हैं।
क्या बारिश के बाद खेतों को नुकसान पहुंचेगा?
हां। अभी तक 12,000 एकड़ फसलें नष्ट हो चुकी हैं, जिसका अनुमानित नुकसान 300 करोड़ रुपये है। खासकर चावल और गेहूं की फसलें प्रभावित हुई हैं। ये फसलें अक्टूबर में काटने की तैयारी में थीं — अब उनका बचाव असंभव हो सकता है।
क्या ये बारिश अगले साल भी आएगी?
हां। भारतीय मौसम विभाग के आंकड़ों के अनुसार, पिछले 15 वर्षों में अक्टूबर के अंत में भारी बारिश की घटनाएं 300% बढ़ गई हैं। अरब सागर का पानी गर्म हो रहा है, जिससे बादल अधिक नमी लेकर आते हैं। ये एक नए मौसमी पैटर्न का हिस्सा है — जिसे अब नजरअंदाज नहीं किया जा सकता।
आम नागरिक क्या कर सकता है?
घर के आसपास के नालों को साफ रखें, बारिश के बाद पानी का इस्तेमाल न करें, और बच्चों को भीगे हुए कपड़े पहनने से बचाएं। अगर घर की छत टूटी है, तो तुरंत स्थानीय प्रशासन को सूचित करें। जानकारी के लिए भारतीय मौसम विभाग का ऐप या 1234 नंबर पर कॉल करें। बचाव की शुरुआत छोटे कदमों से होती है।
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