RSS शताब्दी समारोह: मोहन भगवत ने विज्ञान भवन में 3‑दिन की चर्चा का आयोजन

RSS शताब्दी समारोह: मोहन भगवत ने विज्ञान भवन में 3‑दिन की चर्चा का आयोजन

शताब्दी का जश्न – विज्ञान भवन में तीन‑दिन की चर्चा

नई दिल्ली के विज्ञान भवन में 26 से 28 अगस्त 2025 तक ‘RSS शताब्दी’ के उपक्रम के तहत तीन‑दिन की चर्चा हुई। इस सत्र का शीर्षक ‘100 Years of Sangh Yatra: New Horizons’ रखा गया, जो RSS के 1925 में स्थापित होने की सौ वर्षगाँठ को दर्शाता है। दिल्ली के प्रदेश संघाचालक डॉ. अनिल अग्रवाल ने बताया कि सभी सत्र शाम 5:30 से 7:30 तक चलेंगे और भारत व विदेश के कई प्रमुख शख्सियतों को आमंत्रित किया गया।

सत्र में विभिन्न वर्गों के प्रतिनिधियों का समावेश देखने को मिला। 50 से अधिक देशों के राजनयिकों (पाकिस्तान, बांग्लादेश और तुर्की को छोड़कर) ने भाग लेकर अंतरराष्ट्रीय परिप्रेक्ष्य जोड़ दिया। भाजपा, टीडीपी, जेडी(यू) और कांग्रेस सहित कई राजनीतिक पार्टियों के नेताओं ने अपनी राय रखी। मुसलमान, ईसाई, सिख और बौद्ध समुदाय के प्रतिनिधियों ने अल्पसंख्यकों के मुद्दों को उठाया।

  • मीडिया और पत्रकारिता
  • विदेशी नीति और कूटनीति
  • महिला नेतृत्व
  • सामाजिक सौहार्द व शांति
  • उद्योग एवं व्यापार
  • शिक्षा एवं अनुसंधान
  • संकल्पना एवं विचारधारा

इन 17 क्षेत्रों के विशेषज्ञों ने अपने‑अपने क्षेत्र में RSS के प्रभाव, सहयोग तथा भविष्य की दिशा पर चर्चा की। ऐसा मंच न केवल संवाद को प्रोत्साहित करता है बल्कि विभिन्न समुदायों के बीच समझ और एकजुटता भी बढ़ाता है।

इतिहासिक पृष्ठभूमि और भविष्य की दिशा

यह कार्यक्रम 2017 के उसी स्थल पर हुए पहली बार की चर्चा का अनुक्रम है। उस बार 60 से अधिक राजदूत, राजनीतिक नेता, संस्थान प्रमुख और फिल्म जगत के लोग उपस्थित हुए थे। उस समय मोहन भगवत ने RSS की स्थापना, उद्देश्य और गतिविधियों को सीधे तौर पर बताया और कई भ्रांतियों को दूर किया था। 2025 के इस संस्करण में उसी तरह के विचार‑विमर्श के साथ‑साथ आगे की योजनाओं पर प्रकाश डाला गया।

RSS ने 2024 के विजयादशमी से लेकर 2025 तक विस्तृत प्रसार कार्य शुरू किया। दिल्ली के अलावा मुंबई, कोलकाता और बेंगलुरु में भी इसी तरह के तीन‑दिन के व्याख्यान आयोजित किए गए। पूरे देश में 1,500 से अधिक सम्मेलन चलाने की योजना बनाई गई, जहाँ साहित्य वितरण, गाँव‑गाँव तक पहुँच और जनजागरूकता पर विशेष बल दिया गया।

देश‑व्यापी इस पहल का मुख्य उद्देश्य जनता को RSS की विचारधारा, सामाजिक योगदान और राष्ट्रीय एकता के सिद्धांतों से रूबरू कराना है। कार्यक्रम के दौरान उपस्थित लोग अक्सर पूछते रहे कि कैसे एक समावेशी, बलवान हिन्दु समाज राष्ट्रीय और वैश्विक शांति में योगदान दे सकता है। इन सवालों के जवाब में विभिन्न क्षेत्र के विशेषज्ञों ने अपने‑अपने अनुभव साझा किए।

समग्र रूप से देखें तो यह तीन‑दिन की चर्चा न केवल RSS के शताब्दी को स्मरणीय बनाती है, बल्कि विभिन्न वर्गों के बीच संवाद को मजबूती देती है। यह पहल भविष्य में सामाजिक समरसता, राष्ट्रीय दृढ़ता और अंतरराष्ट्रीय सहयोग को बढ़ावा देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकती है।